कविता-विचार मीमांसा
विचार-मीमांसा जब मूर्त रूप लेंगे विचार तब तेज पुंज विकसित होगा , कलि के कलुषी मतभेदों पर फिर वज्र ज्वाल वृष्टित होगा , मन-बुद्धि-चित्त तीनों मिलकर सच्चाई को पहचानेंगी, मृगतृष्णा रुपी आडम्बर को कुण्ठित करके मानेंगी , फिर पारदर्शिता आएगी,तो हंस चरित्रिक मन होगा। जब मूर्त रूप लेंगे विचार तब तेज पुंज विकसित होगा। ...१ यह भूमि रुधिर से सिंचित है बलिदानों से महि मंडित है, माता के वीर जवानों का वह त्याग ह्रदय में अंकित है, उन बलिदानों की कसम रही,फिर विश्व गुरु उद्घृत होगा, जब मूर्त रूप लेंगे विचार तब तेज पुंज विकसित होगा। .....२ मै आर्यवर्त से कहता हूँ आलसता का परित्याग करो, निज देश-धर्म की रक्षा का कर्तव्य सद